Jhabua: निर्विरोध चुनी गई 'अनपढ़ पंचायत', लगातार चौथी बार सरपंच बनी महिला

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Vivek Sharma
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Jhabua: निर्विरोध चुनी गई 'अनपढ़ पंचायत', लगातार चौथी बार सरपंच बनी महिला

 Jhabua: मप्र के झाबुआ जिले की परवट पंचायत में पंच और सरपंच निर्विरोध चुन ली गई हैं. इस पंचायत की केवल तीन महिला पंच ही हस्ताक्षर कर पाती हैं, बाकी सब अंगूठाछाप हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पंचायत चुनाव (Panchayat Election) में पंच, सरपंच बनने के लिए प्रत्याशी पूरी ताकत लगा रहे हैं। वे विकास को लेकर तरह-तरह के वादे कर रहे हैं। वो खुद को शिक्षित, योग्य और जुझारू होने के साथ-साथ अपने प्रतिद्वंदी से श्रेष्ठ बताने में जुटे हुए हैं।



 इस सबके बीच झाबुआ जिले में एक ऐसी पंचायत है, जहां पर पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि अनपढ़ होने के बावजूद राजनीति और विकास की ऐसी समझ रखते हैं कि उन्हें चौथी बार निर्विरोध चुना गया है। सबसे खास बात यह है कि चुने गए सभी पंच और सरपंच महिलाएं हैं।









चुनाव





निर्विरोध पंचायत





झाबुआ (Jhabua) जिले की परवट पंचायत (Parvat Panchayat) में रमीला भूरिया (Ramila Bhuriya) लगातार चौथी बार सरपंच बनी हैं। उन्हें निर्विरोध सरपंच चुना गया है। उनके साथ पूर्व में साथ निभाने वाली रतनी भूरिया, जेमती बाई, वरती बाई, बापूडी बाई परमार, कमती निनामा, मंगा बाई भूरिया, रमती बाई, दीतू बाई, दल्ला बाई और हुमी बाई पंच चुनी गई हैं।  ग्रामीणों के मुताबिक पंच और सरपंच ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा लेकिन विकास कार्यों में उनका कोई सानी नहीं है। यही वजह है कि चार बार उन्हें विकास कार्यों का मौका दिया गया है। 



 





लिया हस्ताक्षर सीखने का प्रण





गौरतलब है कि सरकार ने महिलाओं की निर्विरोध पंचायत चुने जाने पर 15 लाख रुपये देने की घोषणा की है। कहा जा रहा है इसी वजह से ग्रामीणों ने एकमत होकर महिलाओं को निर्विरोध चुन लिया है। बताया जाता है कि केवल 3 महिला पंच हस्ताक्षर कर पाती हैं, बाकी महिलाएं अंगूठा लगाती हैं।



 उन्होंने इस बार यह प्रण किया कि वे भी साक्षर होकर कम से कम हस्ताक्षर करने की योग्यता जरूर हासिल करेंगी। उनके इस प्रण की भी सभी जगह तारीफ हो रही है। सरपंच रमिला भाई के पति शंकर सिंह भूरिया भी चुनाव चुनाव लड़ चुके हैं। शंकर सिंह भूरिया की दूसरी पत्नी गीता बाई भूरिया इस बार जिला पंचायत सदस्य के लिए भी मैदान में हैं.





कॉलेज में पढ़ते हैं अनपढ़ पंच-सरपंच के बच्चे





पंच और सरपंच भले ही साक्षर नहीं हो पाईं लेकिन वे अपने बच्चों को अच्छी तालीम दे रही हैं। उनका कहना है कि उनके जमाने में गांव में स्कूल का अभाव हुआ करता था लेकिन अब उनके बच्चे स्कूल और कॉलेज में पूरी लगन के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा वे खाली समय में विकास कार्यों को लेकर भी उनकी मदद करते हैं।



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